Saturday, October 16, 2010

इमानदार

इर्शदे नबवी (स.अ.व) है
जो इमानदार र नहीं वो कामिल ईमान वाला नाहे
जिस का वाजो नहीं उसकी नमाज़ नहीं, जो नमाज़ न पढ़े उसका कोई दीं नहीं
नमाज़ का दर्जा दीं में ऐसा हे है जसे सर का दर्जा बदन में है
यानि जसे सर क बगेर इन्सान जिंदा नहीं रह सकता उसी तरह नमाज़ क बगेर दीं बाकि नहीं रह सकता.

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